डॉ भीमराव अम्बेडकर (हिन्दू कोड बिल) और स्त्रियाँ --अगर हम महिलाओं और खास तौर पर दलित महिलाओं (अनुसूचित जाति ) पर अध्ययन कर रहे है तो डॉ अम्बेडकर और हिन्दू कोड बिल के योगदान को जोड़ा जाना अनिवार्य है। भारत में सभी वर्णों स्त्रियों की मुक्ति की व्यक्तिगत और क़ानूनी लड़ाई डॉ भीमराव अम्बेडकर ने 'हिन्दू कोड बिल 'देकर लड़ी थी। इस बिल के तहत पुत्र के समान पुत्री को भी पिता की सम्पत्ति में अधिकार देने की बात कही गयी थी ,विवाह और तलाक के अधिकारों को माँग भी थी ,जिससे तत्कालीन संसद ने यह बिल पास नहीं होने दिया गया था। जिससे निराश होकर डॉ अम्बेडकर ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल से कानून मंत्री के पद से 10 अक्टूबर 1951 को इस्तीफा दे दिया,हिन्दू कोड बिल न पास होने के कारण उन्हें बहुत दुःख पहुँचा था इस बिल का विरोध करने वाले नहीं चाहते थे कि उनकी बेटियों को आर्थिक रूप से पिता की संपत्ति में से क़ानूनी हक़ मिले और उनकी स्थिति सुधरे ,वे आज़ाद भारत में भी स्त्रियों पर हिन्दू वर्ण-व्यवस्था के कानून को लादना चाहते थे। कुछ समय बाद 'हिन्दू कोड बिल 'कई टुकड़ो में पास हुआ था परन्तु व्यावहारिक रूप से देखा जाये तो आज भी स्त्रियों से उनका हक़ छिना। बाबा साहेब ने 'हिन्दू कोड बिल 'के माध्यम से सिर्फ महिलाओं के अधिकारों और आज़ादी की बात कर रहे थे बल्कि उन सभी रूढ़िवादी व्यक्तियों पर कड़ी चोट कर रहे थे। हिन्दू के अधिकार निम्नलिखित है ,जो इस प्रकार है।
हिन्दू विवाह अधिनियम
विशेष विवाह अधिनियम
गोद लेना (दत्तक ग्रहण ) करना , अल्पायु सरक्षरता अधिनियम
निर्बल तथा साधनहीन परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण अधिनियम
उत्तराधिकारी अधिनियम
हिन्दू विधवा को पुनर्विवाह अधिकार अधिनियम
- संरक्षण संबंधी अधिनियम
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सम्पति को लेकर हिन्दू कोड बिल का ड्राफ्ट --
विधवा ,बेटी ,विधवा बहु को भी बेटे के सामान विरासत में अधिकार बेटी को पिता की संपत्ति में बेटे समान आधा अधिकार इस विधेयक में बेटी को सम्पति का अधिकार दिया गया.
महिला वारिसों की संख्या मिताक्षरा और दायभाग से कई गुना ज्यादा बढ़ गई थी.
महिला उत्तराधिकारी को लेकर अलग-अलग भेदभाव था जैसे महिला विधवा तो नहीं ,महिला का आमीर ,गरीब आदि इस बिल ने महिलाओं के मध्य भेदभाव को ख़त्म किया.
विरासत कानूनों में ये किया गया कि पिता से पहले माँ को वरीयता दी गई थी.
हिन्दू कोड बिल में जेंडर समता :- हिन्दू कोड बिल के दो उद्देश्य थे। पहला, हिन्दू समाज से संबंधित बिखरे हुए विभिन्न कानूनों को एक की कानून संहिता मे एकचित्र करना व उनमें सुधार करना। दूसरा, हिन्दू कानूनों को भारतीय संविधान के अनुरूप बनाना। जहाँ तक पहले उदेश्य का संबंध है तो यह प्रचलित कानूनों और नियमों के सुधार से संबंधित था। दूसरे उदेश्य मे ड्रॉ अंबेडकर ने कहा ' मैं संविधान के अनुच्छेद 15 की ओर ध्यान देना चाहता हूँ जिसे मौलिक अधिकार के रूप मे पारित किया गया है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इसमें से किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। परंतु वर्तमान में जो हिन्दू नियम प्रचलित है, वह पुरुष एवं स्त्री के बीच भेद करते है। अतः प्रचलित हिन्दू नियमों मे सुधार न किया गया तो यह भारतीय संविधान के उपबंधों से टकराएगा।
ड्रॉ अंबेडकर ने हिन्दू कोड बिल का जो प्रारूप तैयार कर संसद में पेश किया उसके प्रमुख बिंदुओं का विश्लेषण नीचे किया गया है --
भरण-पोषण:- माता पिता के भरण पोषण की तत्कालीन हिन्दू रिवाजों मे कोई जिम्मेदारी सुनिश्चित नहीं की गई थी । केवल लोक---लाज के लिए वृद्धों की देखभाल का कानूनी आधार तैयार किया । एससके साथ हिन्दू स्त्री को जीविका प्राप्त करने के अपने अधिकार से वंचित हुए बगैर भी अपने पति से अलग रहने का अधिकार प्रदान किया । परंतु एसके साथ यह प्रतिबंध भी लगाया कि यदि पत्नी उसने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो इस स्थिति में भरण--पोषण की हकदार नहीं होगी ।
विवाह:- हिन्दू कोड बिल मे दो प्रकार के विवाहों को स्वीकार किया गया । एक शास्त्रीय विवाह, जो हिन्दू रीति--रिवाजों में पहले ही मावजूद था । दूसरा, सिविल विवाह । तत्कालीन हिन्दू कानून मात्र शास्त्रीय विवाह को ही स्वीकार करता था एवं सिविल विवाह के लिए उसमें कोई जगह न थी । सिविल विवाह जिसे रजिस्टर्ड विवाह भी कहा जाता है, जो शास्त्रीय विवाह से भिन्न था । दूसरी ओर अन्तर्जातीय विवाह को भी मान्यता प्रदान की (किसी भी जाति के लड़के एवं लड़की के विवाह संबंधों एवं उनसे उत्पन्न संतान को वैध माना गया । हिन्दू कोड बिल मे बहु--विवाह को निषेध किया गया । एसके अतिरिक्त विधवा पुनर्विवाह को जायज ठहराया गया ।
गोद लेना :- पहले से प्रचलित हिन्दू कानून मे मात्र लड़के को ही गोद लिया जा सकता था ओर एसके लिए पत्नी की इच्छा कोई मैने नहीं रखती थी अर्थात पत्नी की स्वीकृति अनिवार्य मानी गई । हिन्दू परिवार मे जन्मे लड़के या लड़की को गोद लिया जा सकता था चाहे वे किसी भी हिन्दू जाति के क्यों न हो । ओर उसे जायदाद मे वारिस बना सकते है ।
संरक्षण:- प्रचलित हिन्दू रीति--रिवाजों में पिता अपनी संतान का अभिभावक ताउम्र बना रहता था चाहे उसने धर्म परिवर्तन कर किया हो या सन्यास ले लिया हो । हिन्दू कोड बिल के अंतर्गत सन्यासी बनने एवं धर्म परिवर्तन दोनों ही स्थिति में पिता की अभिभावता का लोप होने का नियम बनाया गया ओर इसका अधिकार माता को भी दिया गया है ।
संपत्ति का अधिकार :- परिवार की संपत्ति मे महिलाओं का अधिकार विशेषतः पुत्री के अधिकार का समावेश हिन्दू कोड बिल का क्रांतिकारी कदम था । इस विधेयक के अस्तित्व मे आने के बाद महिला द्वारा जो भी संपत्ति प्राप्त की जाएगी वह निश्चित रूप से उसकी निजी संपत्ति होगी । इसके अंतर्गत महिला द्वारा अर्जित धन, विवाह संस्कार से प्राप्त स्त्री धन, दहेज, सगे संबंधियों स्वर दिए गए उपहार की स्वामिनी महिला ही होगी । स्त्री धन को लेने या बेचने आदि का अधिकार पति, पुत्र, पिता और भाई मे से किसी को भी नहीं हैं । इसके साथ पति की मृत्यु होने पर महिला को पति की संपत्ति मे उसकी संतान के समान बराबर हिस्सा या अंश देने का प्रावधान किया गया । इतना ही नहीं पिता की मृत्यु यदि बिना वाशियतनामे के हुई है तो पुत्री को भी पुत्रों के बराबर जायदाद की वारिस या कहे तो उतराधिकारी होगी ।
तलाक:- तत्कालीन हिन्दू रीति-रिवाजों मे विवाह संबंध को आत्मा का मिलन माना गया है अंतः इसे अविच्छेद बताया गया । परंतु आश्चर्य तो यह था कि यह अविच्छेदता केवल महिलाओं के लिए थी, पुरुषों के लिए नहीं अर्थात महिला किसी भी स्थिति मे पुरुष से अलग नहीं हो सकती थी । हिन्दू कोड बिल ने महिलाओं को विवाह तलाक का अधिकार प्रदान किया ओर तलाक के विभिन्न आधारों का निर्धारण किया । विवाह के दोनों पक्षों में से कोई एक नपुंसक हो, पति ने किसी महिला के साथ नाजायज संबंध हो, महिला के किसी गैर-मर्द के साथ नाजायज संबंध हो, पत्नी ने हिन्दू धर्म का परित्याग कर कोई दूसरा धर्म ग्रहण कर लिया हो, यदि पति पागल हो जिसका निरंतर पाँच वर्ष से उसका इलाज चल चुका हो। अतः इस आधारों में से किसी पर भी पुरुष ही नहीं महिला को भी तलाक का अधिकार दिया गया। जो हिन्दू कोड बिल का एक क्रांतिकारी कदम था।
अम्बेडकर की भूमिका:
डॉ. अम्बेडकर ने हिंदू कोड बिल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इस बिल को तैयार करने के लिए कई वर्षों तक काम किया और इसे संसद में पारित करवाया।
अम्बेडकर के उद्देश्य:
1. हिंदू समुदाय में सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करना।
2. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
3. व्यक्तिगत कानूनों में सुधार करना।
4. हिंदू समुदाय को आधुनिक और प्रगतिशील बनाना।अम्बेडकर के अनुसार, हिंदू कोड बिल के मुख्य उद्देश्य थे:
1. हिंदू समुदाय में सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करना।
2. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
3. व्यक्तिगत कानूनों में सुधार करना।
4. हिंदू समुदाय को आधुनिक और प्रगतिशील बनाना।
हिंदू कोड बिल के प्रमुख प्रावधान:
1. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: इस अधिनियम ने हिंदू विवाह के लिए एक नई व्यवस्था की, जिसमें विवाह के लिए सहमति और पंजीकरण अनिवार्य है।
2. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956: इस अधिनियम ने हिंदू उत्तराधिकार के लिए नए नियम बनाए, जिसमें महिलाओं को समान अधिकार दिए गए।
3. हिंदू संपत्ति अधिनियम, 1956: इस अधिनियम ने हिंदू संपत्ति के लिए नए नियम बनाए, जिसमें महिलाओं को समान अधिकार दिए गए।
4. हिंदू वंशावली अधिनियम, 1956: इस अधिनियम ने हिंदू वंशावली के लिए नए नियम बनाए, जिसमें महिलाओं को समान अधिकार दिए गए।हिंदू कोड बिल का महत्व:
1. यह भारत में पहला ऐसा कानून था, जिसने हिंदू समुदाय में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में कदम उठाया।
2. यह कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण था।
3. यह कानून हिंदू समुदाय को आधुनिक और प्रगतिशील बनाने में महत्वपूर्ण था।वर्तमान में हिंदू कोड बिल का मूल्यांकन:
हिंदू कोड बिल का मूल्यांकन वर्तमान में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत में परिवार कानून में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था। यहाँ कुछ बिंदु हैं जो इसके मूल्यांकन को दर्शाते हैं:
महिला अधिकारों में सुधार
हिंदू कोड बिल ने महिलाओं के अधिकारों में सुधार किया, जैसे कि सम्पत्ति में अधिकार, विवाह में सहमति और उत्तराधिकार में समान अधिकार।
सामाजिक परिवर्तन
इसने हिंदू समुदाय में सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कदम उठाया, जैसे कि जाति प्रथा के उन्मूलन और विधवा पुनर्विवाह की अनुमति।
आधुनिकीकरण
हिंदू कोड बिल ने हिंदू समुदाय को आधुनिक और प्रगतिशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
व्यक्तिगत कानून में सुधार
इसने व्यक्तिगत कानून में सुधार कुछ आंकड़े और तथ्य जो इसकी स्थिति को दर्शाते हैं:
1. महिला सशक्तिकरण: हिंदू कोड बिल के कारण महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार मिले हैं, लेकिन अभी भी कई जगहों पर महिलाओं को समानता नहीं मिलती।
2. विवाह और तलाक: हिंदू कोड बिल के कारण विवाह और तलाक के नियमों में बदलाव आया है, लेकिन अभी भी कई जगहों पर पारंपरिक विवाह प्रथाएँ चलती हैं।
3. उत्तराधिकार: हिंदू कोड बिल के कारण महिलाओं को उत्तराधिकार में अधिकार मिले हैं, लेकिन अभी भी कई जगहों पर पुरुषों को अधिक अधिकार मिलते हैं।
4. जाति प्रथा: हिंदू कोड बिल के कारण जाति प्रथा के उन्मूलन में मदद मिली है, लेकिन अभी भी कई जगहों पर जाति प्रथा चलती है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार:- 70% हिंदू महिलाएँ अपने पति के साथ रहती हैं।
- 40% हिंदू महिलाएँ अपने पति के परिवार के साथ रहती हैं।
- 25% हिंदू महिलाएँ अपनी संपत्ति के अधिकार का उपयोग करती हैं।
- 15% हिंदू महिलाएँ अपने तलाक के अधिकार का उपयोग करती हैं।
- किया, जैसे कि विवाह, उत्तराधिकार और संपत्ति के मामलों में।
कुछ सर्वेक्षण के श्रोत हैं जो हिंदू कोड बिल के पालन और प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं:
1. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)
2. नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO)
3. इंडियन नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (INBS)
4. यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP)
5. वर्ल्ड बैंक
6. ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW)
7. अम्नेस्टी इंटरनेशनल
8. नेशनल कमिशन फॉर वुमन (NCW)
9. नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (NHRC)
10. सेंटर फॉर सोशल रिसर्च (CSR)
निष्कर्ष:-
हिंदू कोड बिल ने भारत में परिवार कानून में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया, लेकिन इसकी सीमाएँ और चुनौतियाँ भी हैं। इसका मूल्यांकन वर्तमान में भी महत्वपूर्ण है, ताकि हम इसकी कमियों को दूर कर सकें और महिला अधिकारों को मजबूत बना सकें। इसने हिंदू समुदाय में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया.संदर्भ--
- https://www.mea.gov.in/Images/CPV/VolumeH32.pdf
सोहनलाल शास्त्री सम्यक प्रकाशन दरियागंज दिल्ली 2018
https://ijaar.co.in/wp-content/uploads/2022/03/23.pdf
https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&opi=89978449&url=https://hindi.feminisminindia.com/2022/06/27/ambedkar-hindu-code-bill-explainer-in-hindi/&ved=2ahUKEwjPwaLVu6SJAxVaTGwGHUblDGYQFnoECDYQAQ&usg=AOvVaw2omYDwC6FksYhbaNOVKTvL
Ravendra Pratap Singh Ex Student Of B.M.M College Bharwari Kaushambi M.A in Sociology University Of Allahabad Contact ravendras3287@gmail.com Instagram oxy.ravendra Twitter @itsravendra3287 .
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