Thursday, January 11, 2024

दलित महिलाओं के विरुद्ध अपराधों का समाजशास्त्रीय अध्ययन।

दलित महिलाओं के विरुद्ध अपराधों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
रावेंद्र प्रताप सिंह  
पूर्व छात्र भवन्स मेहता महाविद्यालय भरवारी कौशाम्बी 

 सारांश-- हमारे समाज में दलित महिलाओं के साथ प्रतिदिन भेदभाव,अन्याय,शोषण,शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होती है.उन्हें सम्मान समाज में कुछ फिसदी लोगों द्वारा मिलपाता है,जबकि उन्हें हर मोर्चे पर पुरुषों के अहम् का शिकार होना पड़ता है,फिर चाहे वह घर में हो,परिवार में हो,दफ़्तर में हो,खेत खलियान हो या फिर पंचायत हो उन्हें हर जगह जिल्लत का सामना करना पड़ता है और इंसानियत को तार पर रख हैवानियत से भरे नर-पिशाचों की शैतानी,भूख और षड़यंत्र का शिकार होना पड़ता है.

प्रस्तावना-- दलित महिलाओं को स्थिति तो सबसे ज्यादा बुरी है क्योंकि जाति के अहम् में पुरुष दलित महिलाओं को खिलौने से ज्यादा कुछ नहीं समझता है.मैंने यहाँ पर कुछ ऐसे प्रकरणों या घटनाओं का उल्लेख किया है। जैसे डायन कह कर जला देने वाली घटनाएं,निर्वस्त्र करके घुमाने की घटनाएं,प्रेम सम्बन्ध के कारण मार डालने की घटनाएं,बलात्कार इत्यादि घटनाएं हमारे समाज अखबारों और लेखो द्वारा सामने आती है.उदहारण में मैं कुछ घटनाओं का यहाँ चर्चित करता हु सहारनपुर जिले में थाना गंगोह के अंतर्गत मोहड़ा में बुद्ध नाम के दलित व्यक्ति कि 14 वर्षीय पुत्री सीमा का बलात्कार के बाद गला घोटकर हत्या कर दी गयी.उत्तर प्रदेश में बीते 3 नवम्बर 2023 को बाँदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र में 40 वर्ष की एक दलित महिला के साथ दुष्कर्म, 9 मई को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के अमरिया थाना क्षेत्र के गांव में 3 वर्षीय दलित बच्ची को खेत से उठा लिया और उसका बलात्कार किया गया.बीते पंद्रह वर्षों में दलित महिलाओं पर हुए अत्याचारों की ऐसी प्रमुख घटनाऐं है जो अखबारों,पत्रिकाओं की सुर्खियों पर बनी होती है जबकि दलित महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की सूची काफ़ी लम्बी है इनकी संख्या तो हजारों में है जो हमारे समाज की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है.29 सितम्बर 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार एक बार फिर दलित महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों और सुरक्षा को बनाए रखने में विफल रही.14 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना ने एक बार फिर इस देश में दलित महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले जाति अधारिक यौन उत्पीड़न की कठोर वास्तविकताओं को उजागर किया यह एक कड़वा सच है कि अधिकांश बलात्कार की घटनाएं दलित महिलओं और लड़कियों के साथ होती है इसमें कोई दो राय नहीं है कि यथार्थ में दलित महिलाओं के साथ सवर्णों द्वारा अमानवीय व्यव्हार,अत्याचार,दुर्व्यवहार किये जाते है मानव प्रगति का आधार नारी ही है अपने जीवन को उसने कभी अपने लिए न दिया सदा ही अपनी भावना,अपनी ममता दूसरों के लिए लुटाती रही है अनेक कानूनों के बावजूद भी वह स्वयं को कितना आरछित महसूस कर रही है.इक्कीसवीं शताब्दी में भी हम नारी को उसी दृष्टिकोण से देखते रहेंगे जब हमारे देश में शिक्षित लोग बहुत कम थे परन्तु आज हमारे देश में शिक्षित वर्ग 65% से अधिक होने को है.महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधो को रोकने के लिए कानून और उसके तहत की जाने वाली कार्यवाही की बात है तो सरकार ने अब तक जो कुछ कानून बनाये है उन्हें काम नहीं कहा जा सकता परान्त फिर भी महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाएं नहीं रुक रही है क्योंकि सभी घटनाएं हमारी मानसिकता का परिचायक है।

महिलाओं के साथ उत्पीड़न--- महिलाओं के साथ हिंसा की समस्या कोई नई नहीं है। भारतीय समाज में महिलाएँ इतने लम्बे काल से अवमानना यातना और शोषण का शिकार रही हैं जितने काल के हमारे पास सामाजिक संगठन  पारिवारिक जीवन के लिखित प्रमाण उपलब्ध है। आज धीरे-धीरे महिलाओं को पुरुषों के जीवन में महत्पूर्ण प्रभावशाली और अर्थपूर्ण सहयोगी माना जाने लगा। इनमें से कुछ व्यावहारिक रिवाज आज भी पनप रहे है स्वाधीनता के पश्चात् हमारे हमारे समाज में महिलाओं के समर्थन में  बनाये गये कानूनों में महिलाओं में शिक्षा के फैलाव और महिलाओं की धीरे-धीरे बढ़ती हुई आर्थिक स्वतंत्रता  बावजूद असंख्य महिलाएं अब भी हिंसा  शिकार है। 

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का वर्गीकरण इस प्रकार से हो सकता है --

1. आपराधिक हिंसा-- बलात्कार,अपहरण,हत्या.

2. घरेलू हिंसा -- दहेज़ सम्बन्धी हत्या,पत्नी को पीटना,लैंगिक दुर्व्यहार,विधवाओं और वृद्ध महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार .

3. सामाजिक हिंसा --पत्नी /पुत्र वधु की भ्रूण हत्या के लिए बाध्य करना,महिलाओं को संपत्ति में हिंसा देने से इंकार करना,पुत्र वधु को और अधिक दहेज़ लाने के लिए सताना या बाध्य करना .


सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 के अधीन पंजीकृत मामलों की समीक्षा --वर्ष 1989-90 की वार्षिक रिपोर्टो में उत्तर प्रदेश में 386 मामले दर्ज हुए है.

अनुसूचित जातियों पर अत्याचार की घटनायें -- भारत सरकार को भेजी गई अनुसार वर्ष 1989,1990,1991 के दौरान अनुसूचित जातियों पर अत्याचार के मामलों की राज्यवार संख्या निम्लिखित के अनुसार है---उत्तर प्रदेश में वर्ष 1989 में 5195,वर्ष 1990 में 5670 और 1991 में 4798 मामले दर्ज हुए है। 1991 में कुल प्रतिशत 16.38 था। उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर गांव चावफेरवा में दिनाँक 14-03-1993 को अनुसूचित जाति के लोगों हत्या और कानपुर  ग्रामीण क्षेत्र इन्द्रारुक गांव में दिनाँक 08-03-1993 को दो अनुसूचित जाति के लोंगो की हत्या कर दी गई.    

दलित महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली घटनाएँ--- उत्तर प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति महिलाओं की संख्या 20 %है स्त्रियों में कृषि में अप्रत्यक्ष रूप से लगी महिलाओं का प्रतिशत करीब 80 %है. जिसने से ज्यादातर दलित महिलाएँ होती है हम आए दिन पत्र-पत्रिकाओं में बलात्कार,हत्या,अपहरण की घटनाएं पढ़ते रहते है जिनमें से कुछ में तो पुलिस और प्रशासन भी शामिल होता है इस प्रकार से महिलाओं का उत्पीड़न एवं शोषण उनके साथ बलात्कार उन्हें बहला-फुसला के भगा ले जाना,उनके साथ मारपीट,गाली गलौज करना उन्हें जला देना उनकी हत्या करना आदि उदहारण है.महिलाओं के प्रति किए जाने वाले अपराधों एवं हिंसा की जानकारी हमें गृह मंत्रालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेन्स विभाग द्वारा आकड़ो में होती है प्रत्येक 33 मिनट में महिलाओं के प्रति अपराध की घटना होती है. 

योगी आदित्यनाथ ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जनवरी 2015 से 30 अक्टूबर 2019 के बीच उत्तर प्रदेश में करीब 9703 नाबालिक लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले दर्ज़ किये गए उन लड़कियों में से 988 लड़कियों को बलात्कार के बार जान से मार दिया गया। 

शहरों में दलितों पर ज्यादा अत्याचार -- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के मुताबिक साल 2016 में दर्ज़  मामले बताते हैं कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे असुरक्षित राज्य है.साथ ही शहरी क्षेत्रों में अत्याचार बढ़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश(बरेली)-- उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में एक मामले में एक दलित युवती को दो मुसलमान युवकों के हांथों ऐसी हिंसा का शिकार होना पड़ा। प्रताड़ित युवती को एक मुस्लमान दोस्त धोखा देकर होटल ले गया था जहां उसका बलात्कार हुआ उसकी फिल्म बनाई गई और उसे जबरन बीफ़ (मांस) खिलाने की कोशिश की गई। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने sc/st एक्ट के अहम् सेक्शन के तहत पुलिस ने केस रजिस्टर किया जिसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। 

उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले एक तेल मिल में काम करने वाली दलित महिला के यौन उत्पीड़न का विरोध करने पर मिल के मालिक और उसके दो सहयोगियों ने उसे गर्म तेल में धकेल दिया.प्रताड़ित महिला के भाई ने आरोपी प्रमोद,राजू और संदीप के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई आरोपियों पर IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और SC/ST अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

मार्च 2023 में भारत सरकार ने संसद को सूचित किया है कि  2018 से लेकर अगले चार सालों के बीच दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के करीब 1.9 लाख मामले दर्ज किए गए है.नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरों के अनुसार उत्तर प्रदेश में दलितों पर हमले के करीब 49613 मामले दर्ज किए  है। 1 फ़रवरी को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी में लकड़ी काटने गई दलित महिला से तमंचे के ज़ोर पर बलात्कार किया गया पुलिस ने मामला दर्ज़ किया आरोपी की गिरफ्तारी नहीं. सोर्स पंजाब केसरी 

उत्तर प्रदेश के इटावा के भरथना थाना इलाके के गांव में 10 साल पहले 17 वर्षीय दलित युवती की गोली मारकर हत्या कर दी गई. दोषियो के खिलाफ sc/st एक्ट के तहत `दोसी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई. सोर्स हिन्दुस्तान

उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की महिलाओं के मामले 
  1.  30 अप्रैल 2023 को शहर प्रतापगढ़ के जेठवारा थाना क्षेत्र के डेरवा पुलिस चौकी के वार्ड में रहने वाली अनुसूचित जाति की किशोरी का अपहरण का मामला सामने आया है।
  2. 5 जनवरी 2021 को जिला बरेली में रविवार की रात घर के बहार बने शौचालय गयी थी उसके बाद आरोपी फैजल नाम के युवक अपने कुछ साथियो के साथ कार से आया और दोनों लड़कियों को जबरन कार में बैठाया और रस्ते में बलात्कार किया। 
  3. मुरादाबाद थाना भोजपुर क्षेत्र गांव के 17 वर्षीय किशोरी घर से लापता हुई थी थाना भोजपुर एसएसपी ने तहकीकात के बाद बताया की वह लड़किया अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती थी। 
  4. जिला फतेहपुर में अनुसूचित जाति का अपहरण किया आरोपी युवती को बंधक बनाकर उसे जंगल ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया पीड़िता के पिता ने थाने पहुंचकर घटना की जानकारी दी।
  5.  उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में इनायतपुर गांव की इमरती नमक 44 वर्षीय दलित महिला को गांव वालों ने निर्वस्त्र कर के लोहे की छड़ से मारा और घंटो गांव में घुमाया। 
  6. उत्तर प्रदेश के जिला मऊ में मोहम्मदाबाद गोहाना तहसील के अन्तगर्त रानीपुर थाने के सम्साबाद क्षेत्रा की 6 युवा तथा अधेड़ दलित महिलाओं  के साथ सवर्णों ने सामूहिक बलात्कार किया। 
  7. जिला गाज़ियाबाद के सिहानी गांव में करीब एक दर्जन गुंडों ने एक साथ पाँच दलित महिलाओं के साथ बलात्कार किया।
    1989 से 2014 के दौरान अनुसूचित जाति के सम्बन्ध में अत्याचार का दर्शाने का विवरण और दर्ज मामलों की संख्या
  1.  1989 के दौरान कल्याण मंत्रालय द्वारा दिया गया आकड़ा : उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में हत्या के 270 , गंभीर चोट के 886, बलात्कार के 252, आगजनी 362 और अन्य आई.पी.सी अपराध 3425 दर्ज किये गए है 1989 में कल्याण मंत्रालय ने कुल अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचारों पर 5195 मामले पंजीकृत किये हैं.
  2. 1990 के दौरान कल्याण मंत्रालय द्वारा दिया गया आकड़ा : उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में हत्या के 265 , गंभीर चोट के 812, बलात्कार के 254, आगजनी 297 और अन्य आई.पी.सी अपराध 4042 दर्ज किये गए है 1990 में कल्याण मंत्रालय ने कुल अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचारों पर 5670 मामले पंजीकृत किये हैं.

  3.  1991 के दौरान कल्याण मंत्रालय द्वारा दिया गया आकड़ा : उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में हत्या के 284 , गंभीर चोट के 724, बलात्कार के 194, आगजनी 284 और अन्य आई.पी.सी अपराध 3312  दर्ज किये गए है 1991  में कल्याण मंत्रालय ने कुल अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचारों पर 4798  मामले पंजीकृत किये हैं.

  4.  2010 में हत्या के 570, बलात्कार के 1349, मानवाधिकार मामले 143, SC /ST एक्ट के 10513 मामले दर्ज़  किये गए थे.

  5.  2011 में हत्या के 673, बलात्कार 1557, मानवाधिकार मामले 67, और SC/ST के 11342 मामले दर्ज़ किये गए थे.
  6.  2012 में हत्या 651, बलात्कार 1576, मानवाधिकार मामले 62 और SC/ST के 12576 मामले दर्ज़ किये गए थे.
  7.  2013 में हत्या 676, बलात्कार 2073, मानवाधिकार मामले 62 और SC/ST 13975 मामले दर्ज़ किये गए थे.
  8.  2014 में हत्या 744, बलात्कार 2252, मानवाधिकार मामले 101 और SC/ST 43967 मामले दर्ज़ किये गए थे. 
  9. 2014 से 2018 तक उत्तर प्रदेश में 19406 मामले दर्ज़ किये गए थे. 
  10.  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर उत्तर प्रदेश में बलात्कार के 2019 में 3065 मामले दर्ज़ किये गए थे.


बलात्कार होने के कारण--

  1.  महिलाओं का कमजोर आत्मविशवास 

  2. नशा 

  3. अशिक्षित लोग 

  4. पुरुषों की मानसिक दुर्बलता 

  5. शहर के एकांत में गुंडों का अड्डा 

  6. प्रशासन और पुलिस की अक्षमता 

  1. इन घटनाओं के अध्ययन से पता चलता है कि --

    • अधिकांश : बलात्कार, अपहरण, हत्या और सामूहिक मारपीट की घटनाएं गरीब महिलाओं के साथ होते है.

    • सर्वाधिक बलात्कार 15 से 20 वर्ष की आयु की महिलाओं साथ.

    • इसका मुख्या कारण लिंगानुसार का घटना भी हो सकता है.

    • समाज का कड़े रूप से इसका विरोध न करना है.  

 साल 2018 में ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने स्कॉटलैंड में 991 महिलाओ के मामले का अध्ययन किया जिन्होंने यौन उत्पीड़न और बलात्कार का सामना किया था अध्ययन में पाया गया कि 90 प्रतिशत अपराधी पीड़िता के प्रेमी,पति,परिवार,नौकरी देने वाले,पड़ोसी या सहयोगी थे.

अमेरिका की लेखिका और सामजिक कार्यकर्ता रॉबिन मॉर्गन ने 1974 में लिखें अपने प्रसिद्ध लेख 'थ्योरी एंड प्रैक्टिस:पोनोग्राफी एंड रेप में लिखा था कि पोर्नोग्राफी उस सिद्धांत कि तरह काम करता है जिसे व्यावहारिक रूप से बलात्कार के रूप में अंजाम दिया जाता है एक रिपोर्ट के मुताबिक 'अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन 'ने अपने आपराधिक आंकड़ों के विश्लेषण में पाया है कि यौन हिंसा के 80 प्रतिशत मामलों ने वंहा पोर्न की मजूदगी देखी गई है।

टेड बडी नाम के एक अमरीकी सीरियल किलर ने 30 से अधिक महिलाओं और लड़कियों की वीभत्स तरीके से बलात्कार किया और फिर उनकी हत्या की थी जिसने जनवरी 1989 में मौत की सजा से एक दिन पहले साक्षात्कार में जानकारी दी।

निष्कर्ष -- हर एक महिला(स्त्री) को अपने बचाव और सुरक्षा के लिए हर तरह की कोशिश करनी होगी. शारीरिक रूप से सशक्त बनना चाहिए एवं मन से भी उसे मजबूत होना चाहिए अकेली महिला जबडरकर रहती है तो उसे ऐसे समस्याओं का सामना करना पड़ता है हर एक महिला के अंदर आत्मविश्वास होना चाहिए उसे हर मुसीबत का सामना हिम्मत से करना होगा जब हर महिला हिम्मत से कार्य करेगी तो कोई भी पुरुष स्त्री के आत्म्विश्वास को टक्कर नहीं दे सकता है।

प्रोफेसर और लीगल रिसर्च प्रभा कोटीस्वरन ने द वायर से बात करते हुए कहा कि"मौजूदा कानून का निश्चित रूप से असल ही पीड़ितों के हितो की रक्षा का सबसे सुरक्षित तरीका है जब कानूनों का पालन नहीं होता,तब और कड़े कानूनो की मांग बढ़ती है जिसका अमल और काम होता है ऐसी मांग करते समय संविधान द्वारा दिए गए निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार की बात नहीं होती और ऐसे समय में जब यौन सम्बन्धो, हत्या, अपहरण और मानसिक प्रताड़ना के स्वरुप में बदलाव के दौर से गुजरता है।

https://g.co/kgs/BsTEcTG

 https://x.com/pkotiswaran/status/1377973853318692865?s=20https://x.com/pkotiswaran/status/1377973853318692865?s=20https:/https://g.co/kgs/BsTEcTG/x.com/pkotiswaran/status/1377973853318692865?s=2''पहले अपनी स्त्रियों को शिक्षित करों, तब वे आपको बतायेंगी कि उनके लिए कौन से सुधार आवश्यक है उनके मामलों में तुम बोलने वाले कौन हो"

 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम ) अधिनियम,1989 

ऐसे अपराध जिनमें 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है-- 

धारा 3(1)

अपराध: अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को अखाद्य,घृणाजनक अथवा गंदे पदार्थ पीने या खाने के लिए बाध्य करना। 

धारा 3(1) II 

अपराध: अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को अपमानित अथवा परेशां करने की दृस्टि से उसके परिसर या पड़ोस में मलमूत्र,कूड़ा करकट,पशुओं के शव या कंकाल अथवा कोई अन्य गंदे पदार्थ फेंकना। 

धारा 3(III)

अपराध : अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के शरीर से बलपूर्वक कपड़े उतरना ,या उसे नंगा करके, उसके चेहरे या शरीर के किसी हिस्से को पोतकर घुनामा या मानव की गरिमा के विरूद्ध ऐसा ही कोई अन्य कार्य करना। 

नुआवजा: उपरोक्त धाराओं 3(1)I, II, III में प्रत्येक पीड़ित को अपराध के स्वरुप और गंभीरता को देखते हुए 60,000 /- रुपये या उससे अधिक और पीड़ित व्यक्ति द्वारा अनादर, अपमान ,क्षति तथा मानहानि सहने के अनुपात में भी होगा। 

दिया जाने वाला भुकतान इस प्रकार होगा : 25 प्रतिशत जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाए। शेष 75 प्रतिशत जब निचले न्यायालयों द्वारा दोष सिद्ध ठहराया जाए। 

धारा 3(1)IV धारा 3(1)V

अपराध: किसी सदस्य के स्वामित्व वाली अथवा किसी सक्षम अधिकारी द्वारा आवंटित भूमि पर कब्ज़ा करना या उस आवंटित भूमि को गलत तरीके से अपने अधिकार में लेकर उस पर खेती करना, उसकी भूमि या परिसर, जल स्रोत पर उसके अधिकारों का हनन करना। 

मुआवजा : अपराध के स्वरुप और गंभीरता को देखते हुए काम से काम 60,000/- रुपये या उससे अधिक भूमि/परिसर/जल की आपिर्ति जहाँ आवश्यक हो, सरकारी खर्ज पर पुनः वापस की जाएगी। जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाए पूरा भुकतान किया जाए। 

धारा 3(1)VIII

अपराध : किसी के खिलाफ झूठी द्वेषपूर्ण या तंग करने वाली कानूनी कार्यवाई करना। 

मुआवजा : 60,000/- रुपये या वास्तविक विविध व्यय और क्षति की प्रतिपूर्ति या अभियुक्त के विचारण (न्यायिक सुनवाई) की समाप्ति के पश्चात् जो भी का हो। 

धारा 3(1) IX

अपराध : सरकारी तंत्र को ऐसी सूचना देना जिससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को आर्थिक नुकसान अथवा मानसिक पीड़ा भुगतनी पड़े। 

मुआवजा : 60,000/- रुपये या वास्तविक विधिक व्यय और क्षति की प्रतिपूर्ति या अभियुक्त के विचारण की समाप्ति के पश्चात् जो भी काम हो।

धारा 3(1)

अपराध : अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को सार्वजानिक रूप से अपमानित करना, दुखी करना या नीचा दिखाना।

मुआवजा : अपराध के स्वरुप पर निर्भर करते हुए प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को 60,000/- रुपये तक , 25 प्रतिशत उस समय जब आरोप -पत्र न्यायालय को भेजा जाए और शेष दोष सिद्ध होने पर। 

धारा 3(1)XI

अपराध : किसी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की महिला पर हमला करना, अपमानित करना अथवा उसे लज्जित करना। 

धारा 3(1)XII

अपराध : किसी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की महिला का यौन शोषण करना। 

मुआवजा : धारा3(1)XI एवं XII में अपराध के प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को 1,20,000/- रुपये चिकित्सा जाँच के पश्चात् 50 प्रतिशत का भुकतान किया जाए और शेष 50 प्रतिशत का विचारण की समाप्ति पर भुकतान किया जाए।  

 संदर्भ --

  1.  Crime Against Dalits Increased In Up: Elderly Unsafe In Lucknow, Clai... 

  2. https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/story-middle-aged-woman...

  3. https://cjp.org.in/uttar-pradesh-mein-dalit-hinsa-ki-ghatnaye-ufaan-per/

  4. https://www.jansatta.com/explained/ncrb-data-uttar-pradesh-reported-hi...

  5. https://liveindiaharpal.com/first-stripped-naked-and-then-urinated-in-mo...

  6. https://www.rajexpress.co/india/uttar-pradesh/up-news-murder-after-ga...

  7. https://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/bareilly-dalit-woman-spie...

  8. https://www.jansatta.com/crime-news-hindi/lucknow-up-muslim-man-po...

  9. https://www.drishtiias.com/hindi/printpdf/ncrb-data-7-rise-in-crimes-against-women-sc

  10. https://www.bbc.com/hindi/india-40075804

  11. सामाजिक समस्या 1994 राम आहुजा एस पब्लिकेशन पेज नंबर 227 

  12. सामाजिक समस्या 1994 राम आहुजा एस पब्लिकेशन पेज नंबर 228 

  13. www.rtionline.com RTI Number NCREB/R/E/23/01114 24/01/2024 www.ncrb.gov.in 

  14. https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/moradabad/story-17-year-...

  15. https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/moradabad/story-17-year-...

  16.  https://www.jagran.com/uttar-pradesh/fatehpur-scheduled-caste-girl-ga...

  17. महिलाओं पर अत्याचार -एक दृष्टिकोण पुष्पेंद्र कुमार वर्मा पी.एच.डी (श्री जगदीश प्रसाद झावरमल टिवड़ेवाला झुन्झुनू -राजस्थान )

  18. www.ijcrt.org (International Journal Of Creative Research Thoughts)  ISSN 2320-2882

  19. दलित महिलाओं के प्रति अपराध वर्तमान सन्दर्भ में :एक समाजशास्त्रीय अध्ययन -ड्रॉ प्रवीण कुमार एसो०प्रोफे० समाजशास्त्र विभाग -एस०डी० पी.जी कॉलेज गाजियाबाद 

रावेंद्र प्रताप सिंह

 जानकारी देने के लिए संपर्क करें raavis.1207@gmail.com

(भवंस मेहता महाविद्यालय भरवारी कौशाम्बी 212201)

 

 

 

                                               


  


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