Friday, May 3, 2024

मल्लाहों का जीवन (संक्षिप्त अध्ययन)

 

मल्लाहों का जीवन

रावेंद्र प्रताप सिंह

भवन्स मेहता महाविद्यालय भरवारी कौशाम्बी 212201

मल्लाह जिसे " निषाद" भी कहा जाता है, नाविक ओर मछुआरे का एक समुदाय है। इनका प्रारम्भिक संदर्भ रामायण और महाभारत जैसे हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है । मल्लाह हालांकि एक शब्द है जिसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति के वर्णन करने के लिए किया जाता है जो नाव की सवारी करता है और यह एक अरबी शब्द (بحار) से लिया गया है । जिसका अर्थ है "पंछी की तरह अपने पंखों को हिलना" । मल्लाह एक व्यावसायिक शब्द है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से नौका विहार और मछली पकड़ने वाले जल केंद्रित व्यवसाय से जुड़े बड़े समुदाय के लिए किया जाता हैं ।

20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में समुदाय के बीच बढ़ते शिक्षित माध्यम वर्ग ने अपने सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य में बड़े मल्लाह समुदाय की विभिन्न उपजातियों के एकीकरण का आग्रह किया । नतिजन 1918 में निषाद महासभा मल्लाहों और उनकी उपजातियों के सबसे बड़े संगठन के रूप में अस्तित्व में आई । निषाद महासभा का नेत्रत्व राम चंद्र वकील और प्यारे लाल ने किया था ।

मल्लाह संप्रदाय की अनेक उपजातियाँ हैं जिनमें केवट, बिन्द, निषाद, धीमाक, करबक, साहनी और मांझी उल्लेखनीय हैं। मल्लाहों के समुदाय को शुरू में पिछड़ी जाति के रूप में मान्यता दी गई थीं, हालांकि सामाजिक और आर्थिक रूप से वे पिछड़ी जातियों से बहुत पीछे थे और दलितों के अधिक करीब थे । इन्हें कुछ राज्यों की सरकारों ने एससी श्रेणी में शामिल करने के लिए मजबूर किया । हालांकि ये अभी उत्तर प्रदेश में अभी ओबीसी मे शामिल हैं । उत्तर प्रदेश में "निषाद" शब्द 17 ओबीसी समुदायों का प्राततिनिधित्व करता है । जिन्हें उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के द्वारा अनुसूचित जाति का दर्ज़ा देने का प्रस्ताव दिया गया था ।

उत्तरी भारत और पड़ोसी देश नेपाल के पारंपरिक नाविक है । केवट को असम और पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों में केओट, किओट या जलकीकोट के रूप में अनुसूचित जाति के रूप में मान्यता प्राप्त हैं ।

6 अप्रैल को श्री केवट निषाद राज जयंत्री महोत्सव बड़े धूम धाम से मनाया जाता हैं ।

मल्लाहों की जरूरतें-- Need Of Mallah’s

  1. मल्लाहों को बेहतर शिक्षा

  2. मल्लाहों को बेहतर चिकित्सा

  3. मल्लहों का बेहतर प्रतिनिधित्व ( राजनैतिक स्तर पर )

  4. मल्लाहों को रहने के लिए स्वच्छ स्थान

  5. राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व का प्रयास

  6. तकनीकी क्षेत्रों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाना

  7. रोजगार की आवश्यकता

  8. शिक्षा के लिए प्रोत्साहन

मल्लाह समुदाय-- उत्तर प्रदेश में मल्लाहों को ओबीसी समुदाय में सम्मिलित किया गया हैं, 2001 में हुकुम सिंह के आकड़ों (रिपोर्ट) के अनुसार 50% से अधिक होने का अनुमान हैं । 2001 में उत्तर प्रदेश में मल्लाहों की संख्या 18% थी. ई एस डी बिन्द द्वारा

मल्लाहों का जीवन-- Life Of Mallah’s

वर्तमन समय में अधिकांश मल्लाहों का जीवन मछुआरों या किसानों के रूप में अपना जीवन यापन करते हैं । वे दूसरों के स्वामित्व वाली भूमि पर खेती करते है । वे बाजारों में मछलियाँ उत्पाद करते और बेचते हैं । कुछ दिहाड़ी मजदूरी और नाविक हैं जो लोगों को झीलों और नदियों के पार ले जाते हैं । उनकी माहिलाएं और बच्चे हिन्दू त्योहारों पर फल, फूल और धूप बेचते हैं । मल्लाहों के परिवार आमतौर पर बड़े होते हैं । मल्लाह उत्तर प्रदेश में खड़ी बोली, अवधी और हिन्दी बोलते हैं । अधिकांश मल्लाह हिन्दू है हालांकि मुस्लिम मल्लाहों की संख्या काम हैं।

मल्लाहों के धार्मिक विश्वास क्या हैं-- Religious Beliefs Of Mallah’s

वे हिन्दू देवताओं की पूजा और सेवा करते हैं हिंदुओं का मानना है कि अनुष्ठान और अच्छे कार्य करने से उन्हे जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मोक्ष या मुक्ति मिल जाएगी । ये अपनी सुरक्षा और लाभ पाने की आशा में हिन्दू मंदिरों में जाते हैं और अपने देवताओं को प्रार्थना, भोजन, फल और धूप चढ़ाते हैं। मल्लाहों की कुल देवी मसूरियाँ माई, शारदा माता और काली माता हैं, एवं कुछ लोग श्री कृष्ण की पूजा भी करते हैं।

प्रयागराज (इलाहाबाद) के कुछ मल्लाहों का साक्षात्कार करने पर

रवि( प्रयागराज/इलाहाबाद)

उम्र 29 वर्ष

योग्यता 6 वीं कक्षा

शादीशुदा

पत्नी ग्रहणी

बच्चे 2

आय कोई निश्चित नहीं है

सरकारी योगनाओं का कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिलता हैं

रवि द्वारा बताया गया कि वह इलाहाबाद में बचपन से रहते हैं। इनकी शिक्षा तो 6वीं कक्षा तक हुई हैं। शादी को लगभग 8 या 9 वर्ष हो रहें है, इनके 2 बच्चे हैं, पत्नी ग्रहणी है और दुकान में समान बिक्री का कार्य करती हैं जिससे इनका और पूरे परिवार का गुजारा होता हैं।

इनके द्वारा बताया गया कि कोई सरकारी योजना जो आती हैं, उसका ज्यादा लाभ इनको नहीं मिलता हैं, इन्होंने अपने साक्षात्कार में बताया की वर्तमान में कुछ कालोनी के निर्माण के लिए पैसे आए जिसमें से 50000 हजार रुपये अधिकारियों ने ले लिए उनका कहना हैं कि हमनें आप को कालोनी दिलाई हैं।

अतः और भी समस्याए हैं जैसे कि बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था और रोजगार की आवश्यकता, अच्छी चिकित्सा व्यवस्था की जरूरत इत्यादि।

छगन (प्रयागराज/इलाहाबाद)

उम्र- 51 वर्ष

योग्यता- 4 थीं पास

शादीशुदा

पत्नी- ग्रहणी

बच्चे- छः बच्चे

रोजगार- फुटपात पर दुकान लगाना जिसमें 10 लीटर के डब्बे, नारियल, अगरबत्ती, इत्यादि

सामानों को बेचना

सरकारी योजना- किसी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिलता हैं

आय- कोई निश्चित नहीं हैं

छगन द्वारा बताया गया कि बचपन से ये इलाहाबाद में रहते हैं, शादीशुदा हैं 6 बच्चे हैं इनके आय कोई निश्चित नहीं नहीं हैं, योग्यता 4थीं कक्षा पास हैं, पत्नी ग्रहणी हैं और दुकान के काम में इनका साथ देती हैं, बच्चों का अपना अलग-अलग रोजगार हैं।

इनके द्वारा दी गई जानकारी में बताया की जब कोई सरकारी योजना आती हैं, जिसमें पैसे, समान या और कुछ मिलता हैं तो इन तक उसका सेध लाभ नहीं मिलता हैं बिचौलिये उसका फायदा उठा लेते हैं, आगे बताते हैं कि कालोनी का घर बनाने के लिए इन्हे 200000 (दो लाख) रुपये आए थे दो किस्तों में जिसमें से पहली किस्त में इनसे 50000 (पचास हजार) रुपये अधिकारियों ने लिए और दूसरी किस्त में 20000 (बीस हजार) रुपये ले लिए बाकी इनको जितना मिल उससे इन्होंने घर बनवाया हैं।

अतः और भी समस्याए हैं जैसे कि बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था और रोजगार की आवश्यकता, अच्छी चिकित्सा व्यवस्था की जरूरत इत्यादि।

उषा (प्रयागराज/इलाहाबाद)

उम्र 37 या 38 वर्ष

शादीशुदा

पति- नदी किनारें नाव चलते हैं

फुटपात पर दुकान लगभग 8 वर्षों से हैं, जिसमें नारियल, छोटे-छोटे डब्बे गंगाजल भरने के लिए, चुन्नी, आगरबत्ती इत्यादि समान बेचते हैं

बच्चे- चार बच्चे हैं जिसमें से दो स्कूल जाते और दो स्कूल नहीं जाते हैं

कुल देवी- मसूरिया माई, काली माता और शारदा माता

श्री कृष्ण की पूजा भी करती हैं

पति नाव चालक

योग्यता- निराच्छर

पति की योग्यता -निराच्छर

इनके द्वारा बताया गया कि इन्हें भी किसी भी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिलता हैं, और ये कमरा किराएं पर ले कर रहती हैं जिसका किराया 2000 रुपये प्रतिमाह हैं, इनके चार बच्चे हैं जिसमें से दो बच्चे स्कूल जाते हैं और दो बच्चे इनका काम में सहयोग करते हैं, पति नाव चालक हैं। कुल देवी मसूरिया माई , काली माता , शारदा माता।।

मानव(प्रयागराज/इलाहाबाद)

नाम मानव जो 4 थी कक्षा में सदियापुर पुर के सरकारी स्कूल में पढ़ता है। पिता नाव चालक हैं जो लोगों को त्रिवेणी संगम में लोगों को नाव से घुमाते हैं, माता कि फुटपात में दुकान हैं जिसमें पूजा करने का समान मिलता हैं। और मानव के 3 भाई-बहन हैं जिसमें से एक साथ में स्कूल में पढ़ाई करता हैं और दो घर के काम में हाथ बटाते हैं ।

सुरेश (इलाहाबाद/प्रयागराज)

उम्र 46 वर्ष

काम मजदूरी समय के साथ परिवर्तन

योग्यता 8 थीं कक्षा पास

शादीशुदा

पत्नी ग्रहणी हैं और संगम में फुटपाट में दुकान चलती हैं

बच्चे 4 बच्चे हैं

आय कोई निश्चित नहीं हैं

किसी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं अगर कोई लाभ मिलता हैं तो उसमें पहले बिचौलियों और अधकारियों द्वारा उनका हिस्सा मांगना. इन्होंने बताया की कुछ समय पहले सरकारी आवास मिली जिसमे अधिकारियों ने अपना हिस्सा लिए उसके बाद बाकी जो पैसे बचे थे उन्हें मिले फिर इन्होंने अपना सरकारी आवास बनवाया। बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की आवश्यकता, महिलाओं और सभी के लिए अच्छी चिकित्सा और युवाओं के लिए रोजगार ।

प्रयागराज/इलाहाबाद के कुछ मल्लहों का साक्षात्कार लिया गया। जिनकें नाम हैं 1. रवि उम्र (28) 2. छगन उम्र (51) 3. उषा उम्र (37 या 38) 4. मानव उम्र (11 या 12) 5. सुरेश उम्र (46) वर्ष हैं.

ये सभी त्रिवेणी संगम में रहते हैं जिनकी फुटपात में दुकान हैं और साथ में घर की औरतें भी दुकान के काम में सहयोग करती हैं, बच्चे कुछ स्कूल जाते हैं और कुछ बच्चें घर के काम में इनका हाथ बटाते हैं। उषा के पति नाविक हैं जो लोगों को नाव से नदी में घुमाते हैं, जो इनकी आय का श्रोत हैं, पुछनें से पता चला कि संगम, बैराहन, अरैल और अन्य क्षेत्रों में लगभग 5000 मल्लाहा अपना जीवन यापन करते हैं, लगभग यहाँ सभी बचपन से ही रहते हैं, जो मुख्य रूप से फुटपात में दुकान लागाते हैं, नाविक हैं, कुछ बाहर के शहरों में कमाने जाते हैं, औरतें मुख्य रूप से ग्रहणी हैं और दुकान लगती हैं पूजा का समान बेचतीं हैं जैसे गंगा जल भरने के लिए डब्बे, अगरबत्ती, धूप बत्ती, नारियल, फूल माला, मूर्ति, चूड़ी इत्यादि समान बेचतें हैं, जिसके द्वारा उनकी प्रतिदिन का गुजरा होता होता है और यही उनके आय का मुख्य श्रोत हैं।

छगन जी द्वारा बताया गया की जो सरकारी योजनाएं आती हैं उन योजनाओं का सीधे लाभ न मिल कर बिचौलियों द्वारा लाभ मिलता हैं। और पढ़ाई के स्तर से आकलन किया जाए तो मल्लाहों में शिक्षा का स्तर बहुत ज्यादा नहीं हैं. हालकीं वर्तमान में मल्लाहों के बच्चें स्कूल जाते हैं जिनकी संख्या बढ़ी हैं परंतु अन्य समुदाय की अपेक्षा अधिक नहीं हैं. मल्लाहों में रोजगार की आवश्यकता हैं, प्रतिनिधित्व की आवश्यकता हैं, अच्छी शिक्षा की आवश्यकता हैं और अच्छी चिकित्सा की जरूरत समय-समय पर चिकित्सीय विमर्श की जरूरत हैं। मल्लाहों में शादी विवाह पुरोहितों द्वारा विधि विधान से किया जाता हैं फेरें लिए जाते हैं. इनकी कुल देवी मसूरियाँ माई, शारदा माता और काली माता हैं, तथा कुछ अन्य लोग श्री कृष्ण की पूजा भी करते हैं. आय का मुख्य श्रोत दुकान और नाव चलाने से निकलता हैं, कभी- कभी ग्राहक ज्यादा आते हैं तो आमदनी अच्छी हो जाति हैं और कभी ज्यादा आमदनी नहीं होती हैं.

निष्कर्ष--

इलाहाबाद के मल्लाहों द्वारा साक्षात्कार से पता चलता है की मल्लाहा समुदाय में अभी शिक्षा का भाव हैं उत्तर प्रदेश की 18% जनसंख्या मल्लाहों की जो ओबीसी समुदाय( 2001 में उत्तर प्रदेश में मल्लाहों की संख्या 18% थी. ई एस डी बिन्द द्वारा) में आते हैं. जो वर्तमान में और अधिक बाद गई होगी और शिक्षा का स्तर अधिक नहीं है. हलकीं इन्हें अनुसूचित जाति में समिल करने का प्रस्ताव ( समाजवादी पार्टी) द्वारा दिया गया था. चिकित्सा व्यवस्था की जरूरत, युवाओं के लिए रोजगार, सरकारी योजना का सीधे लाभ, और इनके लिए सरकारी आवास का निर्माण इत्यादि की जरूरत हैं। सामाजिक स्तर ये अभी ये समुदाय बहुत पीछे हैं इसके लिए जागरूकता अभियान किया जाना चाहियें। जो भविष्य के लिए लाभदायक साबित होगा । राजनैतिक स्तर पर बेहतर प्रतिन्निधित्व, रहने के लिए स्वच्छ स्थान, तकनीकी क्षेत्रों में युवाओं का योगदान इत्यादि की जरूरत है। 

संदर्भ--

  1. प्राथमिक स्त्रोत  
  2. साक्षात्कार